बारामती लोकसभा सीट / पिछले 27 साल से पवार परिवार के पास है यह सीट, इस बार सुप्रिया सुले से टक्कर लेने उतरे 17 उम्मीदवार
निताबेनिबॉगडे
पुणे. शहर से सटी बारामती लोकसभा सीट एनसीपी के सबसे बड़े गढ़ के रूप में जानी जाती है। पिछले 27 साल से इस सीट पर पवार परिवार का कब्जा रहा है। यहां से शरद पवार 6 बार, उनकी बेटी सुप्रिया सुले दो बार और उनके भतीजे अजीत पवार एक बार सांसद रहे हैं। इस बार सुप्रिया सुले से टक्कर लेने उनके अलावा कुल 17 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं, जिसमें से 10 निर्दलीय हैं।
सुप्रिया सुले को टक्कर देने ये खड़े हुए चुनाव मैदान में
इस सीट से एक बार फिर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले चुनावी मैदान में हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से कांचन राहुल कूल चुनाव लड़ रही हैं। वंचित बहुजन आघाडी की ओर से पादलकर नवनाथ और बहुजन मुक्ति पार्टी से संजय शिंदे उम्मीदवार हैं। इसके अलावा 10 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
बारामती लोकसभा सीट का इतिहास
1984 में इस सीट से एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार पहली बार भारतीय कांग्रेस (समाजवादी) से सांसद बने। पवार से पहले इस सीट पर कांग्रेस और एक बार भारतीय लोक दल का कब्जा रहा। बारामती लोकसभा सीट में पहला चुनाव 1957 में हुआ। 1957 से 1977 तक ये सीट कांग्रेस के कब्जे में रही।
1985 में शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने तो ये सीट खाली हो गई। 1985 के उपचुनाव में जनता पार्टी के संभाजीराव काकाडे यहां से सांसद बने। 1989 में कांग्रेस से शंकरराव पाटील और फिर 1991 में अजीत पवार सांसद बने। इसके बाद से अब तक इस सीट पर पवार परिवार का ही कब्जा रहा।
2014 में ऐसा था जीत का गणित
साल 2014 में मोदी की आंधी भी एनसीपी के इस गढ़ को नुकसान नहीं पहुंचा सकी। 2009 की परफॉरमेंस को दोहराते हुए शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले यहां से सांसद बनी। सुप्रिया को भाजपा समर्थक राष्ट्रीय समाज पक्ष (RSPS) पार्टी के महादेव जगन्नाथ जानकर ने कड़ी टक्कर दी। सुप्रिया को जहां 5,21,562 वोट मिले तो जानकर को 4,51,843 वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर आप पार्टी के सुरेश अबाजी खोपाडे रहे जिन्हें 26,396 वोट मिले थे।
6 विधानसभा में अलग-अलग पार्टियों का कब्जा
बारामती लोक सभा सीट में 6 विधानसभा आती हैं। इनमें दौंड, इंदापुर, बारामती, पुरंदर, भोर और खड़कवासला शामिल है। इनमें दो सीट पर एनसीपी, एक-एक पर कांग्रेस, भाजपा, शिवसेना और राष्ट्रीय समाज पक्ष के विधायक हैं।
सांसद सुप्रिया सुले के बारे में
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के कंधे पर पवार परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी है। माइक्रो बायोलॉजी से बीएससी करने वाली सुप्रिया की शादी 1991 में इनकी शादी सदानंद भालचंद्र सुले से हुई। शादी के बाद वे कई साल तक विदेश में रही और वहां जॉब भी किया। वे सुले 2006 में पहली बार राज्यसभा सांसद बनी। 2014 के लोकसभा चुनाव के हलफनामे में 113 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी।
भ्रूण हत्या के खिलाफ चलाया आंदोलन
इन्होंने राज्य स्तर पर भ्रूण हत्या के खिलाफ काफी असरदार कैंपेन चलाया था। अपने नेतृत्व में सुले ने 2012 में ‘राष्ट्रवादी युवती कांग्रेस’ विंग भी बनाई जिसका उद्देश्य यंग लड़कियों को राजनीति के लिए तैयार करना था। आईपीएल की पुणे टीम में पारिवारिक हिस्सेदारी की वजह से भी ये चर्चा में रहीं थी।